पुस्तक विमर्श : समकालीन भारतीय संघवाद: चुनौतियाँ, अवसर एवं संभावनाएं, तारीख: 22 मई, 2025 समय: 04: बजे अपराह्न

     इण्डियन रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन          

                            एवं

मध्य प्रदेश सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान

के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित

                  पुस्तक विमर्श

समकालीन भारतीय संघवाद: चुनौतियाँ, अवसर एवं संभावनाएं

 

आमंत्रित अतिथि एवं पैनलिस्ट: 

अध्यक्षता : प्रो. गोपालकृष्ण  शर्मा, अध्यक्ष, मध्य प्रदेश सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान, उज्जैन

विशिष्ट अतिथि: प्रो. रेखा सक्सेना, विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय

पुस्तक परिचय: प्रो. यतीन्द्रसिंह सिसोदिया, निदेशक, मध्य प्रदेश सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान, उज्जैन

पैनलिस्ट: प्रो. एश नारायण रॉय, पूर्व निदेशक, सामाजिक विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली

पैनलिस्ट: प्रो. संजय लोढ़ा, पूर्व प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान, एमएलएस विश्वविद्यालय, उदयपुर (राजस्थान)

पैनलिस्ट: प्रो. अजय कुमार सिंह, संघवाद  अध्ययन, सार्वजनिक नीति और शासन केंद्र, जामिया  हमदर्द विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

पैनलिस्ट: डॉ. पंकज सिंह, सहायक प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान विभाग, महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार

संयोजन समिति:

डॉ. उदय सिंह राजपूत, सहायक प्राध्यापक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक

डॉ. पुष्पेंद्र कुमार मिश्र, देवनागरी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गुलावठी (बुलंदशहर), उ. प्र.

विकाश कुमार, अध्यक्ष, इण्डियन रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन

डॉ. हेमंत कुमार, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

मनोरमा कुंतल, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली

शुभांगी आंबले, मराठवाडा विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र

साक्षी सिंह, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, काशी

आशा राजपुरोहित, सहायक आचार्य, शासकीय महाविद्यालय सैलाना, म. प्र.

विजय शंकर चौधरी, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार

डॉ.अश्वनी कुमार, कार्यकारनी  सदस्य, इण्डियन रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन

पंजीकरण संबंधित जानकारी: इच्छुक प्रतिभागियों से अनुरोध है कि वे पंजीकरण के लिए दिए गए गूगल  फ़ॉर्म को  भरें। आवेदन के पश्चात गूगल फ़ॉर्म की हार्ड कॉपी भेजने की कोई ज़रूरत नहीं है।

पंजीकरण के लिए  गूगल फार्म की लिंक: https://forms.gle/JiQ7SBs12HA76oFFA

यदि दिया गया  लिंक का उपयोग करके ऑनलाइन यदि लिंक पर क्लिक करने पर नहीं खुलता है, तो आप गूगल लिंक को कॉपी करके क्रोम में पेस्ट कर सकते हैं और गूगल  फ़ॉर्म भर सकते हैं।

यदि  प्रतिभागी किसी भी प्रकार की तकनीकी समस्याओं के कारण गूगल फार्म से आवेदन नहीं कर पा रहे हैं तो  पंजीकरण फ़ॉर्म के माध्यम से भी आवेदन कर सकते हैं, जो इस ब्रोशर में दिया गया है; इस पंजीकरण फार्म का प्रिंट लें और उसे  भरें, उसके पश्चात उसकी स्कैन करके – irsa.ac.in121@gmail.com पर भेजें।

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इंडियन रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन: इंडिया रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन शोध एवं अकादमिक उत्कृष्टता के लिए सक्रिय एक  ऐसा मंच है जिसका उद्देश्य भारत के सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और शोध संस्थानों में सामाजिक विज्ञान, मानविकी, वाणिज्य और प्रबंधन विषयों में शोध करने वाले शोध विद्वानों के साथ संरचनात्मक , रचनात्मक, आलोचनात्मक  और प्रगतिशील संवाद का आदान-प्रदान करना है। इस मंच के माध्यम से विषय विशेषज्ञों के व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं, और शोध से संबंधित कार्यक्रमों  का आयोजन किया जाता है । इसमें शोध पद्धति, समकालीन मुद्दों, शोध की गतिशीलता और विषयों पर व्याख्यान आयोजित किए गए हैं। विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और शोध संस्थानों में शोध कर रहे शोधकर्ता इस मंच का संचालन करते हैं। जिनका चयन उनके विशेष क्षेत्र में किए गए कार्य के अनुसार किया जाता है। इसमें विषय विशेषज्ञों और शोध विद्वानों द्वारा शोध से संबंधित व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं। ताकि उनके कार्यों और संवाद शैली में तर्क और भाषा का प्रवाह विकसित हो सके, यह मंच भारत के उन सभी शोध विद्वानों का स्वागत करता है जो शोध कार्य में सक्रिय हैं।

मध्य प्रदेश सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान: मध्य प्रदेश सामाजिक विज्ञान अनुसंधान संस्थान (MPISSR) मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए एक स्वायत्त, बहु-विषयक केंद्र है। संस्थान की स्थापना 1983 में हुई थी और यह 1993-94 में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR), नई दिल्ली और उच्च शिक्षा मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार के अधीन आ गया। MPISSR की शोध गतिविधियाँ मध्य प्रदेश और आसपास के राज्यों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, प्रशासनिक और नागरिक पहलुओं से संबंधित मुद्दों से संबंधित हैं। MPISSR पिछले दो दशकों से पंचायती राज और ग्रामीण विकास; शिक्षा; लिंग; जाति और जनजाति; विकास और वंचना; सामाजिक न्याय; सूचना प्रौद्योगिकी; समाज और पर्यावरण पर व्यापक विषयों पर काम कर रहा है। MPISSR की स्थापना प्रख्यात राजनीति विज्ञानी प्रो. आर.एस. गौतम ने की थी। संस्थान के शासी निकाय में राष्ट्रीय ख्याति के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवी और नीति निर्माता शामिल हैं। इस शोध संस्थान के वर्तमान निदेशक प्रो. यतीन्द्रसिंह सिसोदिया है ।

पुस्तक का संक्षिप्त परिचय: संघवाद का अभिप्राय केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकारों के मध्य विधयी, वित्तीय और कार्यकारी शक्तियों का विवेकसम्मत विभाजन है ताकि प्रत्येक सरकार अपने क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके। भारत जैसे देश में संघवाद का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यहाँ वैविध्यपूर्ण पृष्ठभूमि और संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं। आधुनिक युग में संघवाद दो अलग-अलग प्रवृत्तियों – साझा हितों की बढ़ती सीमा और स्थानीय स्वायत्तता की आवश्यकता के बीच सामंजस्य का सिद्धान्त है।

प्रस्तुत पुस्तक एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में किये गए गंभीर बौद्धिक विमर्श के चयनित लेखों का सम्पादित संग्रह है। यह पुस्तक, केन्द्र-राज्य सम्बन्धों को आकार देने वाले संवैधानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारकों, राजनीतिक दल, बहुदलीय व्यवस्था और गठबंधन सरकारों का संघीय व्यवस्था पर प्रभाव, नीति आयोग, वस्तु एवं सेवा कर, वित्त आयोग तथा कोविड-19 महामारी का संघीय व्यवस्था पर प्रभाव जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं, जिन्होंने एक जीवंत अकादमिक बहस को जन्म दिया है, का प्रभावकारी विश्लेषण करती है। यह पुस्तक भारत जैसे जटिल और विविधताओं से भरे हुए समाज के लिए लोकतंत्र की सपफलता और राष्ट्र की एकता के लिए संघवाद के मूलभूत मूल्यों को रेखांकित करती है तथा भारतीय संघवाद के विभिन्न पक्षों पर सूक्ष्म स्तर से लेकर व्यापक स्तर पर कार्य कर रहे अध्येताओं के बौद्धिक और अकादमिक विमर्श को जगह देती है।

पुस्तक को एक सुस्पष्ट संपादकीय परिचय से आरंभ करते हुए 18 शोधपरक आलेखों  को चार भागों-  (1) संघवाद की वैचारिकी एवं सामयिकी, (2) सहकारी संघवाद, विकेन्द्रीकरण, समन्वय एवं सहकार, (3) केन्द्र-राज्य संबंध, और (4) वित्तीय संघवाद के शीर्षकों में विभाजित किया गया है। भारतीय संघवाद के समकालीन विमर्श पर आधरित यह पुस्तक अकादमिक सृजन की अनवरत धारा में कुछ नया जोड़ने का विनम्र प्रयास है। यह पुस्तक शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं, योजनाकारों, शिक्षाविदों, राजनीतिक प्रतिनिधियों, मीडियाकर्मियों और भारतीय राज व्यवस्था और विशेषकर केन्द्र-राज्य सम्बन्धों से सरोकार रखने वाले सभी पाठकों के लिए अत्यधिक रुचिकर आगत होगी।

 

 

 

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